आज का विषय
एक बार जरुर पढ़े
*अन्य भाषा बोलने की शर्तें*
(1) *कलिसिया को फायदा होना चाहिए,*
👉 *इसलिए हे भाइयों, यदि मैं तुम्हारे पास आकर अन्य भाषा में बातें करूँ,* और प्रकाश, या ज्ञान, या भविष्यद्वाणी, या उपदेश की बातें तुम से न कहूँ, तो मुझसे तुम्हें क्या लाभ होगा?
(1 कुरिन्थियों 14.6)
(2) *साफ-साफ बोले,*
👉 *ऐसे ही तुम भी यदि जीभ से साफ बातें न कहो,* तो जो कुछ कहा जाता है वह कैसे समझा जाएगा? तुम तो हवा से बातें करनेवाले ठहरोगे।
(1 कुरिन्थियों 14.9)
(3) *अन्य भाषा खुद को समझ आनी चाहिए,*
👉 *इसलिए यदि मैं किसी भाषा का अर्थ न समझूँ,* तो बोलनेवाले की दृष्टि में परदेशी ठहरूँगा; और बोलनेवाला मेरी दृष्टि में परदेशी ठहरेगा।
(1 कुरिन्थियों 14.11)
(4) *अन्य भाषा कलिसिया में ही बोलना चाहिए,*
👉 *तो यदि कलीसिया एक जगह इकट्ठी हो, और सब के सब अन्य भाषा बोलें,* और बाहरवाले या अविश्वासी लोग भीतर आ जाएँ तो क्या वे तुम्हें पागल न कहेंगे?
(1 कुरिन्थियों 14.23)
(5) *दो-दो या तीन-तीन जन बारी-बारी बोले,*
👉 *यदि अन्य भाषा में बातें करनी हों, तो दो-दो, या बहुत हो तो तीन-तीन जन बारी-बारी बोलें,* और एक व्यक्ति अनुवाद करे।
(1 कुरिन्थियों 14.27)
(6) *बिन अनूवाद के नाम बोले,*
👉 *परन्तु यदि अनुवाद करनेवाला न हो, तो अन्य भाषा बोलनेवाला कलीसिया में शान्त रहे,* और अपने मन से, और परमेश्वर से बातें करे।
(1 कुरिन्थियों 14.28)
*God bless you*
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