★ आज का विषय :-
★ 12 जरुरी बाते :-
★ जो हर विश्वासी को जानना बहुत जरूरी है
1) आज का व्हिडीओ डिफरेन्ट है , ये जो 12 बाते है बहुत इम्पॉर्टंट है , एक एक पॉईंट पर मे जादा बात नही करूँगा ,
2) ये ऐसा है जब हम किसींसे चलते चलते , बात करते है ना , यार ये क्या है ? वो क्या है ? सवाल करते हैं ना ये बिलकुल वैसा होंगा ,
3) आप लोग देख रहे होंगे , समय सीमा जो है वो में रखता हु , जादा लंबा नही खेचुगा
तो सबसे पहिला टॉपिक :-
1) क्या हमें मुसा की 10 आज्ञाओं का पालन करना है ?
1) आपको इसमें बॅलन्स होना बहुत जरुरी है , अगर कोई कहता है क्योंकी व्यवस्था मे लिखा है इसीलिए इसको फॉलो करो , तो फिर ये गलत होगा ,
2) देखे परमेश्वर का हर एक वचन जब तक यीशू नही आता , जब तक पृथ्वी पर कलीसिया हैं , परमेश्वर का हर वचन चाहे वर्ल्ड (Old) का हो या न्यू (New) का हो , परमेश्वर का वचन परमानंट है , लाभदायक हैं , हमेशा के लिए है ,
3) लेकिन कोई ऐसें सीखाता है अगर इसको फॉलो नही किया तो आपका उदार नही हुवा , अगर इसको फॉलो नही किया तो आप अभी तक विश्वासी नही है ,अगर इसको फॉलो नही किया तो आप स्वर्ग नही जायेंगे , तो 10 आज्ञा को मानो ,
4) मै तो कहता हु कि 10 आज्ञा क्यों ? जितने भी आज्ञा हैं न्यू स्टेटमेंट मे , ओल्ड स्टेटमेंट मे जो व्यवस्था से हटकर है , परमेश्वर के प्रति बात कर रहा हू ,
4) इसलिये लिखा है परमेश्वर के मुख से निकला वचन आपके लिये है , लेकिन Contex को भी देखना है , जो परमेश्वर खूद कहता है पत्थर से मार दो , दात के बदले दात तोड दो , ये वचन हम फॉलो नही कर सकते , वैसे ही बॅलन्स होना चाहिये ,
5) कोई सिखाता हैं व्यवस्था का नियम हैं इसलिये पालन करना है , तो ए गलत हो जायेगा , आपको परमेश्वर से प्यार है , यही नही हर वचनो का पालन करो , न्यू स्टेटमेंट मे 27 किताब है , आप उसको फोलो करो ,
6) तो 10 आज्ञा को बॅलन्स करना बहुत जरुरी है , हम परमेश्वर से प्यार करते है , हम हर वचन का पालन करेंगे , वचन को मानेंगे Contex में
2) क्या हमे दशमांश देना चाहिये ?
1) अगर कोई कहता है क्योंकी व्यवस्था मे लिखा है मलाखी 3:10 में इसलिये देना है , इसका डर दिखाकर दशमांश दोंगे तो आशिष हैं नही दोगे तो श्राप है , ऐसे कॉन्सेप्ट के साथ अगर कोई पास्टर , कोई चर्च , कोई प्रीचर ऑनलाईन ये जो सीखाता है तो गलत है ,
2) आप प्रभू से प्यार करते हो 10 क्यों दोंगे ? आप अपना पूरा जीवन दो , आप प्रभूसे प्यार करते हो 10 क्यों देंगे ? 20 30 40 50 दोंगे , 10 के पीचे क्यों पडे हो ?
3) जो इस का डर दिखाकर अगर दशमांश नही दिया श्राप आयेगा ब्लेसिंग आयेगा , नही दिया तो श्राप आयेगा , ऐसे concepts से बचे , ऐसे विचारधारा के लोगो से बचे ,
4) और आपको किसी दबाव मे आकर पैसा नही देना है , याद रखियो ये पौलूस कहता है , 2 करिंथ 9:7 वो कहता है , मैं हर्ष सें दूंगा , मै अपने मनसे दूंगा , किसी के दबाव से नही दूंगा ,
5) परमेश्वर से प्यार करता हु इसलिये देऊगा , तो आप किसी बंधन मे नही है ये समज ले , व्यवस्था के खास करके यहुदी के व्यवस्था के concepts मे नही आना है , आप अन्य जाती है , अन्य जाती के हिसाब से चलना है
3) क्या हमे सबत का दिन मानना चाहिये ?
1) सबत का मतलब है व्यवस्था याने की विश्राम दिन , यहुदी के हिसाब से जो की आता है सॅटर्डे ,
2) तो आप को समजना है , ना मंडे इम्पॉर्टंट है , ना मंगलवार , ना गुरुवार , ना शुक्रवार , ना शनिवार , ना रविवार सातो दिन प्रभू का हैं , 21 दिन प्रभू का हैं , 365 दिन प्रभू का है , मतलब हर दिन प्रभू का है , हरपल प्रभू का है ,
3) आप जब चाहो आराधना करो , जब चाहो प्रभू के पास जाओ , जब चाहो प्रभू का दिन मनाओ , जब चाहो कलीसिया खोलो , कौंनसा भी दिन बोलो साटर्डे बिल्कुल इम्पॉर्टन्ट नही है , या शाबाथ इम्पॉर्टंट नही है , कुलिसी 2:16 क्या कहता है ये परछाया है व्यवस्था की बाते टल जायेंगी ,
4) आपको किसी प्रकार का सबत का दिन आदींन रहकर , किसी को डर कर आपको उसके साथ चर्च नही जाना है ,
5) सेवन डे जो सीखाते है विश्राम दिन याने की सॅटर्डे इम्पॉर्टंट हैं , माता येरुसलेम वाले भी ये फॉलो करते है , की साटर्डे आना है ,
6) आप साटर्डे जाओ , संडे जावो , शुक्रवार जावो इस्मे कोई फरक नही पडता , हम स्वतंत्र हैं , खुले आसमान के नीचे आप परमेश्वर की आराधना कर सकते है ,
7) क्योंकी परमेश्वर आपके अंदर है , उसकी उपस्थिती आपके अंदर है , इस बात को समजना होगा
4) क्या रविवार का दिन ही सही दिन है आराधना करने का ?
1) आराधना का दिन सॅटर्डे हो या संडे हो , कुछ लोग कहते है संडे कंपल्सरी आना है कौन कहते है ? क्यारेसमॅटिक , पॅन्टेकोस्टल , मेन लाईन चर्च , साइड लाइन चर्च , या फिर इंडेडडीपेंड चर्च वाले वो कहते है
2) आप कोई भी नोकरी करो , बिजनेस करो , अगर आप संडे को चर्च नही आये तो वो बंधन मे आ जाते है , मुसिबत मे आ जाते है ,
3) उनको डर दिखाते है कि अपना स्क्रुस उठाकर चलो , आप संडे चर्च नही गये तो आप विश्वासी नही है , आप संडे चर्च नही गये तो आपको आशिष नही मिलेगी , ये सिखाते है , इसका मतलब है कि मंडे सें सॅटर्डे वो फिर क्या सैतान के पास रहता है ? ये कॉन्सेप्ट गलत है , संडे चर्च जाना बहुत जरुरी है , लेकिन किसी दबाव से नही और किसी प्रेशर से नही , आप नही आये तो आशिष नही है ,
4) तो सातर्डे जाओ , संडे जावो या मत जावो , आप घर पर आराधना करो , नोकरी पर प्रभू को याद करो , Concepts क्या है , आपको किसी के बंधन मे नही आना है , Concepts क्या है डरकर आपको चर्च नही जाना है ,
5) नहीं जायेंगे तो प्रभू नाराज होगा , ऐसा कुछ नही है , आप हर दिन प्रभू को याद करो , प्रेरित 2:42 प्रती दिन वो प्रभू के संगतीने रहे , साटर्डे हो या संडे हो , कोई फरक नही पडता
5) क्या हमे यहुदी पर्वो को मानना चाहिये ?
1) इसका मतलब है की आप अन्य जाती है , आप यहुदी नही है , यहुदीओ का कौनसा भी फेस्टिवल जो की आज कल जो सिखा रहे है , वो कहते है पर्वो को मानना चाहिये ,
2) मेरा प्रश्न हैं क्यों मानना चाहिये ? आप यहुदी है क्या ? नही , आप अन्य जाती है ,
3) कहते है इजरायल पवित्र देश है , इजराइल देश पवित्र नहीं हैं , परमेश्वर पवित्र हैं , तो वापस कहता हु किसी भी यहुदी के फेस्टिवल को follow करना आपको जरूरत नही है
6) क्या हमे यीशू का जनम दिन मनाया चाहिये ?
7) क्या हमें यीशू का मृत्यु दिन मनाना चाहिये ?
8) क्या हमे पुनरुत्थान दिन मनाना चाहिये ?
1) ख्रिसमस , गुड फ्रायडे , ईस्टर ये मसीयत में तीन ऐसी चीज है इसको हम नही मानते , कुछ ख्रिश्चन ऐसे कहते है की , अगर इसको नही माना आप मशीह नही है , तो इसका मतलब है , आप साल मे तीन बार मसीह हो ? आप प्रति दिन के मसीह है ,
2) Concept क्या है पता है , ख्रिसमस , गुड फ्रायडे , ईस्टर संडे आपके लिये नही है , बल्की ख्रिसमस , गुड फ्राइडे , ईस्टर संडे दुसरो के लिये आप के द्वारा ,
3) आप मेसेज दे सकते है , की यीशू मसीह आज याने की 25 डिसेंबर , यीशू मसीह आज याने की गुड फ्रायडे , यीशू मसीह आज याने की ईस्टर संडे , आप उस दिन दुसरो को पैगाम सुना सकते है , दुसरो को यीशू के बारे मे प्रचार कर सकते है , दुसरो को बता सकते है कि 2000 साल पहले ऐसी घटना घटी थी ,
4) लेकिन यीशू पैदा हुवा एक बार , मरा और हमेशा के लिए जिंदा है , हम हर साल यीशु को पैदा नही करते , हम हर साल यीशू को नही मारते , हम हर साल यीशू को जीवित नही करते , हमें ऐसा नहीं करना है ,
5) तो आपके लिए ख्रिसमस , गुड फ्रायडे , ईस्टर संडे एक बार आता है , आपकी लाईफ मे , जीस दिन अपने उधार पाया था , उसके बाद आप कपडे पहने , खाना बनाओ , घर को पेंट मारो , आपको जैसा करना है वैसा करो ,
6) लेकिन ये कहकर नही की क्रिश्चनो का फेस्टिवल है , गलत हो जायेगा , हम किसी फेस्टिवल में नही चलते , हम साल मे कोई फेस्टिवल नही मनाते ,
7) हम प्रतिदिन यीशू को साथ लेकर चलते है , आप को समझना बहुत जरुरी है
9) उपवास का कौन सा दिन सही दिन है ?
1) कुछ लोग हिंदू के बॅकग्राऊंड से आते है , मुस्लिम के बॅकग्राऊंड से आते है , कोई अलग अलग बॅकग्राऊंड से आते है , वो मसीह बन जाते है ,
2) तो उनके मन में प्रश्न उठता हैं , हम पहिले उन दिनो उपवास करते थे , उस दिन करते थे , इस दिन करते थे , अब हम मसिह बन गये है , तो हम कौन से दिन करे ?
3) तो मै आपको बता दु उपवास करने का कोई दिन फिक्स नही है , शुक्रवार को ही करना है ऐसा कोई गॅरंटी नही है , ऐसा कोई प्रेशर दबाव नही है ,
4) आप को उपवास करना है , तब कब ? , जब परमेश्वर कहता है , आप कोई भी दिन उपवास कर सकते है , ऐसा कोई दिन नही है , बाइबल मे ऐसा कोई रुल नही है , इस दिन करो उस दिन करो , ऐसा कोई फिक्स दिन नही है ,
5) जब जब चाहो तब करो , परंतु पवित्र आत्मा के अनुग्रह मे उपवास करना है
10) क्या बाइबल की संख्या को महत्व देना चाहिये ?
1) मै आपको बता दू , नंबर 3 , नंबर 7 , नंबर 6 , नंबर 12 , नंबर , 9 , और नंबर 40 , ऐसे कुछ संख्या है और अकसर 3 , 7 , 9 , 6 , 12 , 40 , ऐसा बहुत चलता है ,
2) खास करके ओल्ड स्टेटमेंट मे 40 का आकडा बहुत है , उसको लेकर अरे 40 याने की पवित्र नंबर , 7 बोले तो पवित्र नंबर , 9 बोले तो पवित्र नंबर ,
3) आपके नॉलेज के लिए बता दू , हम अंधविश्वास वाले लोग नही है , हम किसी संख्या , किसी नंबर , ऐसे ख्रिश्चननेटी में नही है ,
4) 1 से लेकर 100 तक , एक से लेकर लाख तक आपका हर नंबर परमेश्वर की और से आप के लिये है ,
5) आपके लिए ऐसा कोई स्पेशल नंबर नही है , 3 रखो , 7 रखो , गाडी का नंबर रखो , मोबाईल नंबर रखो लेकिन कोई विशेष नंबर को लेकर फॉलो नही करना है ,
6) इससे परमेश्वर का लेना देना नही है , ए गलत हो जायेगा , आपको जैसा ठीक लगे वैसे लेकर चल सकते है
11) प्रभू की प्रार्थना का महत्व कितना है ?
सबसे पहिली बात दो धारना देता हु ,
1) ये प्रभू की प्रार्थना नही है , ये प्रभू का सिखाया हुवा प्रार्थना है , ये प्रभू की प्रार्थना नही है , अगर प्रभू की प्रार्थना होती तो प्रभू ये कह रहा है मेरे पापो की क्षमा कर तो गलत हो जायेगा , क्योंकी प्रभू पापी नही है , ये कॅन्सल हो गया
2) दुसरा धारणा कहते है की इसे बोलते है तो स्पेशल ब्लेसिंग आता है , बोलते हैं तो कुछ अलौकिक चीजे होंगी , ऐसा कुछ नही होता है , यीशू की प्रार्थना यीशू की मत्ती 6:9 के अनुसार पॅटर्न दिया था उस वक्त ,
3) लेकिन रोमियो 8:26 वचन कहता है पवित्र आत्मा आपके अंदर है , कि वो आप को सिखाएगा , की प्रार्थना कैसे करना है ? क्योंकि हम नही जानते ,
4) तो इसका मतलब है की हमे पवित्र आत्मा के तरीके से चलना है , पवित्र आत्मा के प्रार्थना के तरीके से चलना है ,
5) ये प्रार्थना करना ये पूरा गलत है , ये मे नही बोल रहा हु , लेकिन कुछ तो पॅटरन बनाकर चलना गलत है , नियम बनाकर चलना गलत है , रूढी-वादी में नही चलना है ,
6) आप स्वतंत्र हैं , जैसें आप अपने बच्चो से बात करते है , वैसे ही आपको प्रभु से बात प्रार्थना करना है
12) कलीसिया (Denomination ) या यीशू :-
1) कुछ लोग कहते है की मैने यीशू को पा लिया अब आगे क्या ? तो कहते है आपको कलीसिया से जुडना है , ये गलत नही है , बहुत जरुरी है ,
2) लेकिन एक धारणा गलत है यीशू को धुंडते धुंडते हम पोहोच जाते हैं चर्च , जब हम चर्च पोहचते है , तो वो चर्च में हमे किससे जुडना है ? यीशु से ,
3) आपको पता हैं 90℅ प्रतिशत क्या होता है ? यीशू को धुंड धुंड के कोई भी बंदा जब वो चर्च पोहोचता है , तो यीशू कम दिखता है , चर्च मे पास्टर जादा दिखता है , पास्टर के रुल्स जादा दिखते है , पास्टर के तरिके जादा दिखते है , पास्टर का डर ज्यादा दिखता है , पास्टर के नियम जादा दिखते हैं , चर्च का डर ज्यादा दिखता है ,
4) चर्च मे ऐसा करना है , ऐसा नही करना , ऐसा आना है , वैसे नही आना , आपको ये करना है , आपको वो नही करना है ,
5) तो वो बंदा कहता है अच्छा ये हैं यीशू , तो पुरी जिंदगी असली यीशु तो नही मिलता , लेकिन उसको चर्च के तरिके से यीशू मिलता है , ऐसे करते करते बंदे मर जाते है ,
6) तो आपको बता दू , यीशु को फॉलो करो , वो चर्च कौनसा भी चर्च हो दुनिया का , मै सब की बात कर रहा हू , अगर असली बायबल का यीशु नही मिल रहा है , वो चर्च गलत है , आप यीशू के पीछे चले थे यीशू के पीछे ही चलना है ,
7) जो ऐसे कुछ लोग करते है सर चर्च हमारा नही है , कुलपीट हमारा नही है , बायबल हमारी नही है , कितने भी मेंबर हो एक हो या लाख हो , वो यीशू के लोग है ,
8) यीशू ने क्या कहा था ? मेरी भेड मेरी आवाज सुनेगी , चर्च के कुलपिट के उपर से संडे हो या साटर्डे कोई भी दिन करो , लेकिन आवाज यीशु की सुनाना हैं ।
तो दोस्तो , इस तरह हमने देखा ,
12 बाते , जो विश्वासियो को जानना जरुरी हैं
1) क्या हमें मुसा की 10 आज्ञाओं का पालन करना है ?
2) क्या हमे दशमांश देना चाहिये ?
3) क्या हमे सबत का दिन मानना चाहिये ?
4) क्या रविवार का दिन ही सही दिन है आराधना करने का ?
5) क्या हमे यहुदी पर्वो को मानना चाहिये ?
6) क्या हमे यीशू का जनम दिन मनाया चाहिये ?
7) क्या हमें यीशू का मृत्यु दिन मनाना चाहिये ?
8) क्या हमे पुनरुत्थान दिन मनाना चाहिये ?
9) उपवास का कौन सा दिन सही दिन है ?
10) क्या बाइबल की संख्या को महत्व देना चाहिये ?
11) प्रभू की प्रार्थना का महत्व कितना है ?
12) कलीसिया (Denomination ) या यीशू :-
Praise The Lord
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