कलीसिया किस की है
कलीसिया किस की है ?
पास्टर की या यीशु की
आज मै इस विषय पर बात करूँगा |
हम सब यीशू की एक कलीसिया है , कितने भी डिनामेशन दुनिया मे क्यों ना हो लेकिन हम सब मिलकर यीशू की एक कलीसिया है ।
तो ,
*कलीसिया किस की है ?*
*पास्टर की या यीशु की*
आईए वचन देखते है ,
(1 कुरिन्थियों 1:10)
👉हे भाइयों, मैं तुम से यीशु मसीह जो हमारा प्रभु है उसके नाम के द्वारा बिनती करता हूँ, कि तुम सब एक ही बात कहो और तुम में फूट न हो, परन्तु एक ही मन और एक ही मत होकर मिले रहो।
एक ही मत :-
1) मत का मतलब हैं सिद्धांत
2) मत का मतलब हैं डिनामेशन
3) मत का मतलब हैं पंत
✍️ *एक बात*
👉 *एक मन*
👉 *एक ही मत*
इसका मतलब है की पौलूस कुरिन्थियों की कलीसिया को ऐसीं कलीसीया जो ,
1) उस वक्त मे अपने टाइम पर बहुत पावरफुल कलीसिया थी
2) दानो की कोई घटी नही थी ।
3) चमत्कार तो पानियों के तरह बहता था ।
4) मुर्दे जीलये जाते थे
5) पौलुस के रुमाल से या पतरस के परछाई से अगर तब होता होगा तो सोचिए जब कलीसिया अन्य जातीयो मे गयी होगी तो कितने चमत्कार हो गये होंगे ।
6) ऐसी कलीसिया जिस्मे आत्मा बजाये जा रही है ।
7) मै समजता हु कि लाखो कि तादात मे लोग बचते जा रहे होंगे और अद्भुत चमत्कार होते होंगे ।
इसको चलकर मैने आज का विषय रखा हैं ।
कलीसिया किसकी है ?
पास्टर की या यीशू की ?
अगला वचन देखते है ,
(1 कुरिन्थियों 1:11-12)
👉क्योंकि हे मेरे भाइयों, खलोए के घराने के लोगों ने मुझे तुम्हारे विषय में बताया है, कि तुम में झगड़े हो रहे हैं। मेरा कहना यह है, कि तुम में से कोई तो अपने आपको “पौलुस का,” कोई “अपुल्लोस का,” कोई “कैफा का,” कोई “मसीह का” कहता है।
✍️ *ये झगड़े किस बात पर हो रहे है ?*
यहा ,
⭐ दो powerful लीडर हैं
1) "पौलूस "
2) "अपुल्लोस"
1) उन दिनो मे दोनो की चर्च जोरो से चल रही थी ।
2) तो पौलूस का चर्च था और अपुल्लोस का चर्च था ।
3) पौलूस के भी लोग थे और अपुल्लोस के भी लोग थे ।
4) लोग पौलूस को भी पसंद करते थे और अपुल्लोस को भी पसंद करते थे ।
ऐसी टाइम पे वो कहता है कि तुम मे झगडे हो रहे है किस को लेकर तो ,
पौलुस और अपुल्लोस को लेकर ।
1) कोई कहता मैं पौलूस का हु ।
2) कोई कहता मैं अपुल्लोस का हु ।
3) कोई कहता मैं केफा याने की पतरस का हु
4) और कोई कहता में मसीह का ।
तो इसका मतलब दोस्तो ,
1) एक हैं पौलुस का चर्च
2) दुसरा हैं अपुल्लोस का चर्च
3) तिसरा हैं पतरस चर्च
4) और मसीह का चर्च
ऐसे मिलाकर उन मैं झगडे चल रहे थे ।
1) कोई कहता मैं पौलूस का हु ।
2) कोई कहता मैं अपुल्लोस का हु ।
3) कोई कहता मैं केफा याने की पतरस का हु
4) और कोई कहता में मसीह का ।
तो मै आज का टॉपिक फिरसे रखता हूँ ,
कलीसिया किसकी है ?
पास्टर की या यीशु की ?
ताकि आप कनेक्ट हो सके की , कलीसिया किसकी है
1) तो वो पास्टर की है
2) या यीशू की है ?
ये दो वचन हमे बताता है की ,
1) हम किसके है ,
2) और कौन किसके है ,
3) कौन किसको Follow करता है ,
4) कौन किसके पीछे चलता है
⭐ *कलीसिया किस की है*:-
पास्टर की या यीशु की
क्या ऐसी तुकडो मे मसीह बट गया है ?
1) एक हैं पौलुस का तुकडा
2) दुसरा हैं अपुल्लोस का तुकडा
3) तिसरा हैं पतरस का तुकडा
4) मसीह का तुकडा
(1 कुरिन्थियों 1:13)
👉क्या मसीह बँट गया ? क्या पौलुस तुम्हारे लिये क्रूस पर चढ़ाया गया ? या तुम्हें पौलुस के नाम पर बपतिस्मा मिला?
✍️ *क्या मसीह बंट गया है ?*
1) आप कोई भी चर्च के हो
2) कही के भी हो
1) कौन चढाया गया था आपकी कलीसिया के लिए कृस पे ? यीशु
2) किसने आपको लहू से खरिदा ? यीशु ने
3) आपको किस ने बचाया है ? यीशु ने
4) हम सब किसके है ? यीशु के
✍️ *आज कुछ Concepts जोरो से चल रहा है मसीह समाज में ।
1) मेरा चर्च!
2) तेरा चर्च!
3) कुछ लोग कहते हैं मेरा चर्च ही सही है!
4) फिर कुछ लोग कहते हैं मेरा चर्च छोड़कर कहीं नहीं जाना!
( प्रेरितों के काम 2:42-46)
👉और प्रेरितों से शिक्षा पाने, और संगति रखने में और रोटी तोड़ने में और प्रार्थना करने में लौलीन रहे। और सब लोगों पर भय छा गया, और बहुत से अद्भुत काम और चिन्ह प्रेरितों के द्वारा प्रगट होते थे। और सब विश्वास करनेवाले इकट्ठे रहते थे, और उनकी सब वस्तुएँ साझे की थीं। और वे अपनी-अपनी सम्पत्ति और सामान बेच-बेचकर जैसी जिसकी आवश्यकता होती थी बाँट दिया करते थे। और वे प्रतिदिन एक मन होकर मन्दिर में इकट्ठे होते थे, और घर-घर रोटी तोड़ते हुए आनन्द और मन की सिधाई से भोजन किया करते थे।
हम सब सर्वव्यापी चर्च के मेंबर हैं
1) पहली सदिकी कलीसिया एक मन रहती थी ।
2) ऊनकी सब चिजे आपस मे एक दुसरे से बाट देते थे ।
3) वहा कोई डिनामेशन नही था ।
तो आज प्रेम , एकता क्यों नहीं ?
ऐसा क्यों कहते है :-
1) मेरा चर्च तेरा चर्च
2) मेरा चर्च ही सही है
3) मेरा चर्च छोड कर कही नही जाना ?
4) बाकी के चर्च को नीचे क्यों गिंनते है ?
इसका मतलब है की यीशू मसीह बट गया है ,
जो प्रश्न पौलुस ने रखा हैं की क्या मसीह बट गया ?
तो क्या बट गया है ?
1) जो सॅटर्डे को आराधना करते है उनका मसीह अलग हैं ?
2) जो संडे को आराधना करते है उनका मसीह अलग हैं ?
3) आराधना आप सॅटर्डे करो , संडे करो , या शुक्रवार को करो ,
4) आप जब भी करो , सुबह करो , शाम करो , रात करो
5) आप हप्ता भर करो , या हप्ते मे एक बार करो
फिर प्रश्न उठेगा की मसीह बट गया ? ---(2)
1) कोई कैसा भी करे वो परमेश्वर का है
2) परमेश्वर उसको लेकर चलता है
3) अगर सिद्धांत सही हैं पिता ,पुत्र , पवित्र आत्मा वाले उस कॅटेगिरी मे बात कर रहा हु ।
1) मै माता येरुसलेम वाले की बात नही कर रहा हू ?
2) मरियम की आराधना करने वाले की बात नही कर रहा हू ?
3) मैं केवल येशू की बात नही कर रहा हू ?
4) यहोवा व्हीटनेस , सर्वशक्तिमान बिजली चमक ने वाले की बात नही कर रहा हू ?
5) मै सब की बात नही कर रहा हू ?
अ) मैं बात कर रहा हू जो पिता ,पुत्र और पवित्रा आत्मा को मानने वाले की
ब) ऐसी शिक्षा वाले जो संपूर्ण बायबल को मानते है
क) मै उनकी बात कर रहा हु
उनमें मसीह क्यो बट गया ? -- (2)
✍️ *आज कल कलीसिया के चक्कर में हम आपस में मिलकर रहना भूल गए हैं!*---(2)
ए क्या चक्कर है कलीसिया का , डिनामेशन का ?
1) मेरा चर्च का पास्टर बहुत अच्छा है
2) मेरा चर्च बडा हैं
3) पास्टर कहता है , मेरा कवायर बहुत अच्छा है
4) मेरा चर्च का प्रचार बहुत अच्छा होता है
5) हमारे चर्च में अभिषेक आता है
6) हमारे चर्च में पवित्र आत्मा बहता है
7) ऐसा दुसरे चर्च नही होता है
8) BMW वाला पास्टर सायकल वाले पास्टर को तुच्छ मानता हैं
9) और सायकल वाला BMW वाले पास्टर को तुच्छ मानता है
✍️ *क्या मसीह बंट गया है ?*
1) ऐसी चक्कर मे हम आपसे मिलकर रहना भूल गये है
2) झोपडी वाला चर्च बडे चर्च को तुच्छ क्यों मानता है ?
3) और बडा चर्च झोपडी वाले चर्च को तुच्छ क्यों मानता है ?
ये आपस मिलकर रहने वाली बाते कहा गई ?
*सूने*:-
( यूहन्ना 17:20 )
👉“मैं केवल इन्हीं के लिये विनती नहीं करता, परन्तु उनके लिये भी जो इनके वचन के द्वारा मुझ पर विश्वास करेंगे, कि वे सब एक हों;
✍️ ये यीशु की प्रार्थना है:-
*सूने*:-
1) जैसे पहली सदी की कलीसिया प्रेम से रहती थी!
2) वैसे ही आज 21 वीं सदी की कलीसिया को भी प्रेम से रहना है!
3) और आनेवाली पीडी में भी एक रहना हैं
3) सबको एक रहना है
सबसे बडा दान कौन सा है ?--(2)
1) कुछ लोग कहते है कि आप अन्य भाषा मे बात नही करते है इसलिये हम आपसे मेल मिलाप नही रखेंगे
2) कोई कहता है मेरे पास भविष्यवाणी का दान है
3) कोई कहता है मेरा पास्टर ने इतने मुर्दे जिंदे किये है
4) कुछ कहते है हमारा चर्च जो है वो बाकी चर्च के तरह नही है
5) हमारे चर्च में 1000 की भीड आती है
ऐसे लोगो को मैं कहना चाहता हू की सबसे बडा दान ये नही है कि ,
1) आप कितनी भाषा मे बात करते है
2) आप कितने मुर्दे जींदा किये है
3) आप कितनी कलीसिया बना ली है
तो सबसे बडा दान है ,
(1 कुरिन्थियों 13:1)
यदि मैं मनुष्यों, और स्वर्गदूतों की बोलियाँ बोलूँ, *और प्रेम न रखूँ, तो मैं ठनठनाता हुआ पीतल, और झंझनाती हुई झाँझ हूँ*।
(1 यूहन्ना 4:20)
यदि कोई कहे, “मैं परमेश्वर से प्रेम रखता हूँ,” और अपने भाई से बैर रखे; तो वह झूठा है; क्योंकि जो अपने भाई से, जिसे उसने देखा है, प्रेम नहीं रखता, तो वह परमेश्वर से भी जिसे उसने नहीं देखा, प्रेम नहीं रख सकता।
1) तुम पहाडो को हटा दो
2) अपनी संपत्ति कंगालो को खीला दो
3) तुम आपना शरीर जलने के लिए दे दो ,
4) लेकिन आपस मे प्रेम नही है , तो तुम ठनठनाता पीतल और झंझनाती झाँझ है , तुम कुछ नही हो
तो इसका मतलब है की सबसे बडा दान क्या है ?
तो आपस मे प्रेम करना , मिले रहना ।
लेखक कह रहा है की ,
1) तुम परमेश्वर को ना देखे और कहते है प्यार करता हु
2) लेकिन तुम्हारे खुद के चर्च में है , पडोस का चर्च है , पडोस का पास्टर है
3) तुम उससे प्यार नही रखते फिर तुम क्या परमेश्वर से प्यार रखोगे , तो तुम झूट हो गये
आज मसीह सेवको के बीच में बहुत गड़बड़ी चल रही है!
नफरत की सारी सीमा लांघ चूके हैं!
1) एक पास्टर का दूसरे पास्टर के साथ नहीं जम रहा हैं !
2) एक सेवक दुसरे सेवक को पसंद नही करता
3) एक पास्टर दुसरे पास्टर को नाम रखता हैं
4) एक चर्च दुसरे चर्च को नफरत करता है
5) अगर आपस मे मिल भी जाते है तो ऐसे व्यक्ति है कि मानो दुसरे बॉर्डर का है
6) ऐसी हरकते चल रही है
*आज कल*
👉 *हर (Sunday) रविवार बोस गिरी होती है कलिसिया में!*
इसका मतलब है कि ,
1) यहां नहीं जाना !
2) इनको नहीं सूनना
3) वो पास्टर का चर्च ठीक नहीं
ऐसी बॉसगिरी चलती है चर्च मे , क्या मसीह बट गया है ?
✍️ *कलीसिया किस की है ?*
👉 *यीशु की*
👉जब कलीसिया यीशु की है तो बोसगिरी क्यों चल रही है! -- (2)
✍️चर्च के पास्टर को डर क्यों लगता हैं ?
1) अगर उनका चर्च का मेंबर अगर दुसरे चर्च मैं जाता है तो दिक्कत क्या है ?
2) वो अपने प्रभू के पास में हैं ना
3) फरक कितना है कि वो दुसरे चर्च जा रहा है
4) मतलब उनका पास्टर अलग हैं आपका चर्च पास्टर अलग हैं
5) लेकिन परमेश्वर एक की है ना , तो दिक्कत क्या है ?
जो दुसरे चर्च चला जाता हैं , उसें कुछ सेवक जो खुद को सिनियर कहते वो उपमा देते हैं की ,
1) वो सैतान का हैं
2) वो चोर हैं
3) वो बहक गया हैं
4) वो परमेश्वर का नहीं हैं
4) वो भटक्या हैं
जो चर्च छोड देता हैं , उसें ये उपमा देते हैं ।
जो चर्च छोडता वो परमेश्वर को नहीं छोडता - - -(2)
उसने सिर्फ चर्च छोडा हैं , परमेश्वर को नहीं ।
क्यों डर लगता है पास्टर को ?
1) अगर आपको इतना डर है की वो दुसरे चर्च में जाने से वो दुसरे चर्च का हो जाएगा तो आप ऐसा खाना खिलाओ की वो लौटकर वापस आ जाये ।
*उदाहरण*:- जैसे
*उडाऊ पुत्र*:-
2) उडाउ पुत्र पाप की चक्कर मे वापस नही आया तो वो खाने के चक्कर मे वापस आ गया
3) खाना ऐसा खिलाओ आपका चर्च मेंबर भलेही किसी भी कोने मे चले जाये वो लौटकर वापस आपके पास आयेगा
4) जो खाना आप खिला रहे है , हो सकता है उसका पास्टर नही खिला रहा है
तो आपको डर किस बात का है ?
ए क्यों कहते हो की ,
1) इस को नही सुना है
2) उसको नही सुना है
3) Youtube , Facebook को नहीं सूनना हैं
4) गलत teaching हैं तो वचन से प्रूफ करो ना
5) हवा में बाण क्यों मारते हो
ये डर क्यों ?
आप सही सिखा रहे हो ,
तो आपको डर नही चाहिये ।
तो डरते कौन है और भेजते कौन नही है ?
1) जिसका खुद का स्टडी ( Study ) ठीक नही है
2) जिसका खुद का वचन ठीक नही है
जो मुझे सून रहा है और देख रहा है , मै कहना चाहता हु कि ,
1) आप जीतना दबा दबा के रखोगे , जिस दिन होशियार हो गये आपकी सारी धमकीयो को लांदकर वो जरूर वहा चले जायेंगे जहाँ खरी शिक्षा मिलती है ---- ( 2 )
2) क्योंकी वचन कहता है मेरी भेंड मेरी आवाज सुनती है
3) तो आप किसी चर्च के बॉस नही है
4) पास्टर कितना भी बडा हो
5) 10,000 कलसिया हो या 20,000 कलिसीया हो
6) कोई चर्च पास्टर बॉस नही हैं
7) बॉस एक ही है और वो है यीशू
(इब्रानियों 13:20 )
👉अब शान्तिदाता परमेश्वर जो हमारे प्रभु यीशु को जो भेड़ों का महान रखवाला है सनातन वाचा के लहू के गुण से मरे हुओं में से जिलाकर ले आया,
हमारा बोस एक ही है*:- - - - (2)
✍️ *प्रभु यीशु मसीह*:-
( लूका 10:20 )
👉तो भी इससे आनन्दित मत हो, कि आत्मा तुम्हारे वश में हैं, परन्तु इससे आनन्दित हो कि तुम्हारे नाम स्वर्ग पर लिखे हैं।”
* इसका मतलब है दोस्तो ,*:-
1) हम कितने powerful है , ये Important नहीं हैं
2) हम कितने दांन से भरे है , वो Important नहीं हैं
लेकिन हमारा नाम जीवन की पुस्तक मे है उसका आनंद मनाना है
ये जीवन की पुस्तक से नाम क्यों कट जायेगा ?
ऐसा डर और ऐसी चौकन्ना या ऐसी होशियार करने वाली बात यीशूने क्यों कही ?
मैं बताता हु ,
*उदाहरण*:-
1) 70 चेले इतने powerful हो गए थे , उंनके हाथो से चमत्कार हो रहा था और उनको ऐसा लग रहा था कि हम कितने पावर फुल हैं ।
2) 70 में से किसी को कहता होंगा मैने इतने चमत्कार किये , मैने इतनी दुष्ट आत्मा निकाली ? तुने कितनी निकाली ?
3) मैने तो इतने मुर्दे जिंदे किये तुने कितने किये है ? और मेरी भेड तो बहुत है , तेरी भेड कितनी है ?
4) ऊसके चक्कर मे यीशू ने कहा की , इसके चक्कर में कही तुम आपस मे नफरत ना कर सके ,
5) तुम में पापक्षमा ना आ जाये । ऐसी कोई बात आ ना जाये की जीवन की पुस्तक मैं से नाम कट जाये ।
उसके चलते यीशू Worning (वर्निंग ) दे रहा है ।
*कहीं जीवन की पुस्तक से नाम ना कट जाए*!
तो आपको समझना होगा दोस्तो ,
कलीसिया किसकी है ?
पास्टर की या यीशू की ?
1) अगर आप इतना समझ गये तो हम स्वर्ग में होंगे ।
2) ना वहा कोनसा भी डिनामेशन नहीं है ।
3) तो वहा एक ही हैं और वो हैं ,
यीशु की दुल्हन ।
आशा करता हु आप समझ गये होंगे ।
*God bless you*
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