Wednesday, 14 October 2020

मध्यस्थी


*किन्‍तु वह हमारे पापों के कारण घायल हुआ; वह हमारे दुष्‍कर्मों के कारण आहत हुआ। उसने अपने शरीर पर ताड़ना-स्‍वरूप मार सही, और उसकी मार से हमारा कल्‍याण हुआ। उसने कोड़े खाए, जिससे हम स्‍वस्‍थ हुए।*

*यशायाह 53:5* 

*इस वचन का अर्थ 👇*

*देखें कि यीशु दुष्टता में पड़े लोगों के लिए क्या करना चाहते हैं। उन्हों ने हमारी जगह ले ली और तोड़े गए नियमशास्त्र के परिणाम (शाप) को स्वीकार किया। उन्हों ने हमारे अपराधों के लिए सज़ा ग्रहण की। तुलना करें रोमि. 5:6-8; 2 कुरि. 5:21; 1 पतर. 3:18. छुड़ाए जाने पर नोट्स भजन 78:35; और मत्ती 20:28 में देखें। “क्रूस”- व्यव. 21:22-23. पुराने समय में इस्त्राएल में अधिकारीगण अपराधी लोगों को टाँग देते थे और पेड़ पर लटकाकर मार देते थे। इस तरह उन्हें लोगों के सामने लज्जित किया जाता था। इसलिए यीशु हमारे अपराधों के लिए मरे और क्रूस की शर्मनाक मौत को हमारे लिए सह लिया। देखें प्रे.काम 5:30; 10:39; 13:29; 1 पतर. 2:24. हमें वह फ़ाँसी की सज़ा मिलनी चाहिए थी।*

*विश्‍वासियों का उद्धार एक नींव पर है - वह है मसीह की मौत और उनका जी उठना (1 कुरि. 15:1-4)। गुनाहों के कारण लोग जिस मौत के लायक थे, उस मौत को यीशु ने सहा। यीशु का जी उठना इस बात का सबूत है कि मसीह के बलिदान को परमेश्‍वर ने ग्रहण किया, हमारे अपराध समाप्त हो गए और सदा के लिए मिटा दिए गए। हम विश्‍वासियों को यह देखना चाहिए कि हमारा सम्बन्ध परमेश्‍वर के साथ ठीक किया गया है। हमें धर्मी ठहराने के साथ अपराध से मुक्‍त किया गया है। ऐसा इसलिए है क्योंकि मसीह मृतकों में से जी उठे हैं। स्वर्गिक पिता के साम्हने वह हमारी सच्चाई है 1 कुरि. 1:30-31

No comments:

Post a Comment