Saturday, 17 October 2020

सहनशीलता


*लूक 21:16‭-‬18* 

*तुम्‍हारे माता-पिता, भाई-बहन, कुटुम्‍बी और मित्र भी तुम्‍हें पकड़वाएँगे। तुम में से कितनों को मार डाला जाएगा और मेरे नाम के कारण सब लोग तुम से बैर करेंगे।  फिर भी तुम्‍हारे सिर का एक बाल भी बाँका नहीं होगा।  अपनी सहनशीलता से तुम अपने जीवन को बचा लोगे।*

*लूकस 21:16‭-‬19* 

*इस वचन का अर्थ 👇*

*मत्ती 10:21-22 यह इन्सान का स्वभाव है। सुसमाचार की सच्चाई कटु नफ़रत और सताव को जन्म देती है। यहाँ तक कि सगे सम्बन्धी खिलाफ़त करते हैं। धार्मिक विचारों में असमानता और सहन न करने की वजह से स्वाभाविक प्रेम और सद्‍भाव खत्म हो जाता है -  यूहन्ना 15:18-21. परमेश्‍वर के सेवकों को बहुत विरोध का सामना करना पड़ता है। उन्हें मुक्‍ति इसलिए हासिल नहीं होगी क्योंकि वे आखिर तक सहते रहेंगे, लेकिन आखिर तक बना रहना इस बात का सबूत होगा कि उनका ईमान मज़बूत है, खरा है इब्रा, 24:13; इब्रा. 10:39; 1 पतर. 1:5.*

*यहोन्ना 15:18-19 “संसार”- अविश्‍वासी संसार, जो सच्चे परमेश्‍वर की आज्ञा नहीं मानता है। 1 यूहन्ना 2:16; 5:19 देखें। वह संसार अंधकार में है और उसी में बना रहना चाहता है।*


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