*परमेश्वर ने मुझे असाधारण प्रकाशन दिए। इसलिए उनकी वजह से मैं कहीं घमण्ड से न भर जाऊँ, मेरी देह (शरीर) में एक काँटा चुभाया गया। शैतान का एक दूत (संदेशवाहक) मुझे पीड़ित करता था, ताकि मैं अहंकार से भर न जाऊँ।*
*2 कुरिन्थियों 12:7*
*इस वचन का अर्थ 👇*
*12:7 इस से मालूम होता है कि पद 2-5 में वह अपने बारे में कह रहा है। लोग घमण्ड और धोखे में पड़ गए, क्योंकि वे सोचते थे, कि पौलुस द्वारा देखे गए दर्शन और पाए हुए प्रकाशन से कहीं कम दर्शन और प्रकाशन उनके थे। पौलुस को जो कुछ प्रभु ने दिखाया, उसके सम्बन्ध में घमण्डी हो जाना उसके लिए स्वाभाविक था। परमेश्वर के पास किसी प्रेरित या किसी और व्यक्ति को घमण्ड से बचाने का तरीका था। पौलुस का ‘काँटा’ क्या था? हम उतना ही जानते हैं, जितना हमें बताया गया है। भाषा कठिन है। अलग-अलग मत ऐसे हैं।*
*1. कुछ का कहना है, कि ‘शरीर’ का अर्थ देह हो सकती है और ‘काँटा’ एक बीमारी या शारीरिक समस्या।*
*2. कुछ कहते है, कि ‘शरीर’ का अर्थ अपराधी स्वभाव हो सकता है, जिसके बारे में रोमि. 7:14-25 में लिखा है। इस यूनानी शब्द का अर्थ पतित स्वभाव भी हो सकता है रोमि. 7:5, 18. यदि ऐसा है तो यह एक ज़ोरदार प्रलोभन या बुरी सलाह थी जो उसके मन में आती थी, जिसने उसे घमण्ड करने से रोका।*
*3. गिनती की पुस्तक (गिनती 33:55) में काँटा शब्द उन मनुष्यों के लिए उपयोग किया गया है, जो इस्राएलियों को पीड़ा देने वाले थे।*
*यहाँ पर यूनानी शब्द ‘संदेशवाहक’ दूसरे स्थानों में स्वर्गदूत भी कहा गया है। यह शायद शैतान (दुष्टात्मा) द्वारा लाया गया था। जिसने उसका विरोध किया था उसकी कमज़ोरी के दायरे में उसके सामने परीक्षा खड़ी थी।*
*‘काँटे’ से उसे बहुत तकलीफ़ हुयी। शारीरिक, मानसिक या आत्मिक या तीनों, यह स्पष्ट नहीं है। पौलुस के अनुभव की तुलना अय्यूब 1:6, 3:26 से करें।
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